4 Line poetry



ہم خاک نشیں تو شاہ پیا

ہمیں تیری دید کی چاہ پیا


اک شام پلٹ کر دیکھ ہمیں

ہم بیٹھ گئے تری راہ پیا 


धूल पीएंगे तो शाह पीएंगे! हम आपसे मिलना चाहते हैं एक शाम हमें पीछे मुड़कर देखें हम बैठ गए और पिया




چل آکر مل اک بار ہمیں۔۔۔

پھر دیکھ بھی مت تو خواہ پیا


ہم اشک بہائیں مجلس میں

مسجد مسجد ، درگاہ پیا 

एक बार मिल कर आ जाओ... फिर मत देखो और पियो हमने सभा में आंसू बहाए मस्जिद मस्जिद, दरगाह पिया




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چل "" آہ ""نہ کر! کر وااہ پیا !


ہم آپ تماشہ بن بیٹھے

یوں بیٹھ کے تیری راہ پیا 

हमारे शेर पढ़ें! यह भी दें "आह" मत चलो! वाह! हम आपका तमाशा बन गए बैठ जाओ और अपना रास्ता पी लो 





ہم آپ تماشہ بن بیٹھے

یوں بیٹھ کے تیری راہ پیا


ترے ہجر میں سارے رنگ جلے

بس رہ گیا رنگ سیاہ پیا 

हम आपका तमाशा बन गए बैठ जाओ और अपना रास्ता पी लो हज में जले सारे रंग जो बचा था वो काला था 




کہ خاک میں پلنے والے ہم

کہ شاہ جہاں! تم شاہ ! پیا


ترا عشق عبادت جیسا ھے

چل چھوڑ ثواب گناہ پیا! 


कि हम जो धूल में खिलाते हैं वो शाहजहाँ! आप किंग! पीना आपका प्यार पूजा की तरह है जाने दो और पाप का प्रतिफल पीओ! 



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